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पुष्यामृत योग का अर्थ

[ puseyaamerit yoga ]
पुष्यामृत योग उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र के आने से होने वाला योग:"गुरु पुष्य योग में चाँदी, सोने, नये वाहन, बही-खातों की खरीदारी एवं गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुएँ अत्यधिक लाभ प्रदान करती हैं"
    पर्याय: गुरु पुष्य योग, गुरु-पुष्य योग

उदाहरण वाक्य

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  1. पुष्यामृत योग में कोई भी कार्य करने पर यशदायक होता है।
  2. वैसे आजादी के बाद 31 मार्च 1985 को रवि पुष्यामृत योग अवश्य बना था।
  3. इसके बाद अगले दिन गुरुवार को पुष्यामृत योग है , जो बारिश के लिए उत्तम है।
  4. गुरु पुष्यामृत योग इस वर्ष दीपावली के पूर्व गुरु पुष्यामृत योग 1 नवंबर 2007 को आ रहा है।
  5. गुरु पुष्यामृत योग इस वर्ष दीपावली के पूर्व गुरु पुष्यामृत योग 1 नवंबर 2007 को आ रहा है।
  6. गुरु पुष्यामृत योग सर्व सुखकारी , नवीन प्रतिष्ठान शुभारंभ, गृह प्रवेश के लिए सिद्धिकारक तथा यश कीर्ति बढ़ाने वाला है।
  7. वासंती नवरात्र के समापन के बाद 25 मार्च , गुरुवार को गुरु पुष्यामृत योग सुबह 10.41 के पश्चात दिन भर रहेगा।
  8. उसी तरह गुरु पुष्यामृत योग नवीन प्रतिष्ठान , व्यापार-व्यवसाय, उद्योग, आर्थिक विनिमय, मंत्र दीक्षा, संत दर्शन और मंदिर निर्माण आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
  9. उसी तरह गुरु पुष्यामृत योग नवीन प्रतिष्ठान , व्यापार-व्यवसाय , उद्योग , आर्थिक विनिमय , मंत्र दीक्षा , संत दर्शन और मंदिर निर्माण आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
  10. यदि पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार को आ जाता है तो ऐसे रवि पुष्यामृत योग में तंत्र साधना , मंत्र साधना, गुरु मंत्र ग्रहण, औषधि निर्माण एवं ग्रहण और योग, उपासना शीघ्र फलदायी होती है।


के आस-पास के शब्द

  1. पुष्यगर्भा नदी
  2. पुष्यनामी
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